ससुर यानि घर के कोने में पड़ा रद्दी का अखबार ट्विस्ट नहीं ला सकता... बेचारा हमेशा लाचार और निरीह रहता है...कोई भी कहानी हो..वो कभी केंद्र नहीं बनता। बालीवुड के सुचितावादी निर्माता भी उस पर कोई फोकस नहीं करते
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सड़क के साथी...कैसे हो?
अगर ये सड़क न होती तो हमारी तुम्हारी मुलाकात न होती. अब अगर मिल बैठने का मौका मिला है तो क्यों ने हम कुछ सुने सुनायें...
कुछ तुम बांटो... कुछ हम बांटे...कुछ तुम गाओ तो कुछ हम गुनगुनाये.
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