बुधवार, 4 जून 2008
कनफ्यूजन है भाई....
सिद्धातों को लेकर, उन्हें अपनाने को लेकर, जद्दोजहद चल रही है... क्या सही है क्या गलत है... क्या होना चाहिये क्या नहीं होना चाहिये.... क्या नैतिक है और क्या अनैतिक है... ये "क्या" का सवाल है हर जगह परछाई की तरह मौजूद है... प्रोफेशन भी ऐसा चुना है.... कि क्या क्यूं औऱ कब के सवाल प्रोफेशनल जरूरत है... डेली रूटीन में भी यही सवाल उछलते हैं तो सोचना पड़ता है कि आखिर इसका जबाव किस तरीके से दें... इस सवाल के उत्तर को लेकर मेरी प्रोफेशन के लोगों ने कनफ्यूजन पैदा कर दिया है.... अब मीडिया के मौलवी तो कुछ भी सही और गलत साबित कर दे....
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